
डिजिटल इंडिया अभियान और यूपीआई (UPI) ट्रांजेक्शन के जरिए कैशलेस व्यवस्था को बढ़ावा देने की मुहिम अब छोटे कारोबारियों पर भारी पड़ती दिख रही है। कर्नाटक से सामने आई हालिया घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनाने का खामियाजा अब व्यापारियों को टैक्स नोटिस के रूप में भुगतना पड़ेगा?
राज्य के विभिन्न हिस्सों में जीएसटी विभाग ने करीब 6000 से अधिक छोटे और मझोले व्यापारियों को नोटिस जारी किए हैं। इन नोटिसों में बताया गया है कि पिछले चार वर्षों में UPI से हुए ट्रांजेक्शन के आधार पर उनका टर्नओवर अनुमानित सीमा से अधिक है, और उन्हें टैक्स चुकाने की आवश्यकता है।
🧾 एक सब्जी विक्रेता को 29 लाख का नोटिस
मामला तब ज्यादा चर्चा में आया जब एक साधारण सब्जी विक्रेता को आयकर विभाग की ओर से ₹1.63 करोड़ के लेनदेन पर ₹29 लाख का जीएसटी नोटिस थमा दिया गया। वह दुकानदार किसानों से ताजी सब्जियां खरीदकर सीधे ग्राहकों को बेचता है और अधिकतर लेनदेन डिजिटल माध्यम (UPI) से होते थे।
व्यापारी का कहना है कि उसका मुनाफा इतना नहीं है कि वो इतने भारी टैक्स का भुगतान कर सके। यह तो बस उसके UPI पेमेंट का टोटल है, जिसमें खरीद की रकम भी शामिल है, मुनाफा नहीं।
🏛️ प्रशासन का पक्ष: ये सिर्फ नोटिस है, टैक्स नहीं
इस मामले में कॉमर्शियल टैक्स विभाग की ज्वाइंट कमिश्नर मीरा सुरेश पंडित ने बयान जारी करते हुए कहा कि:
“जीएसटी नोटिस फाइनल टैक्स डिमांड नहीं है। यह सिर्फ एक नोटिस है जिसमें संबंधित व्यक्ति से जानकारी और दस्तावेज मांगे गए हैं। यदि दस्तावेज संतोषजनक पाए गए तो नोटिस स्वतः रद्द कर दिए जाएंगे।”
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी घबराने की आवश्यकता नहीं है। व्यापारी अगर प्रमाणित कर देते हैं कि UPI ट्रांजेक्शन में बड़ा हिस्सा खरीद से जुड़ा है, तो उस पर टैक्स लागू नहीं होगा।
⚖️ कानून क्या कहता है?
जीएसटी कानून के अनुसार:
वस्तुओं की बिक्री करने वालों के लिए यदि सालाना टर्नओवर ₹40 लाख से अधिक है, तो जीएसटी पंजीकरण अनिवार्य है।
सेवाएं देने वाले व्यापारियों के लिए यह सीमा ₹20 लाख है।
यदि कोई व्यापारी यह सीमा पार करता है, तो उसे जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराना होगा और नियमित रिटर्न फाइल करना होगा।
प्रशासन का कहना है कि UPI डेटा का विश्लेषण कर यह देखा गया कि कई व्यापारी बिना पंजीकरण के ही बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं। उन्हें औपचारिक कर प्रणाली में लाने के लिए ही यह कदम उठाया गया है।
🔥 व्यापारियों में नाराजगी, 25 जुलाई को हड़ताल की चेतावनी
इन नोटिसों से परेशान व्यापारियों ने अब सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। कर्नाटक ट्रेडर्स एसोसिएशन और अन्य व्यापार मंडलों ने 25 जुलाई को राज्यव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है।
इनका कहना है कि:
“हमने डिजिटल लेन-देन को सरकार के कहने पर अपनाया, और अब उसी का रिकॉर्ड लेकर हमें नोटिस दिए जा रहे हैं। अगर यही हाल रहा, तो व्यापारी दोबारा नकद लेन-देन पर लौट जाएंगे।”
इसके अलावा, कई व्यापारी संगठनों ने UPI का बहिष्कार करने की भी अपील की है।
📉 छोटे व्यापारियों की चिंता: ट्रांजेक्शन ≠ मुनाफा
यह बात स्पष्ट है कि UPI या अन्य डिजिटल माध्यमों से होने वाले ट्रांजेक्शन का कुल योग किसी व्यापारी की कमाई नहीं होता। इनमें खरीद मूल्य, स्टॉक भरने का खर्च, ट्रांसपोर्टेशन और अन्य लागतें शामिल होती हैं।
कई व्यापारी ऐसे भी हैं जिनका मुनाफा 10-15% से ज्यादा नहीं होता, लेकिन जब पूरा ट्रांजेक्शन डेटा देखा जाता है, तो वह करोड़ों में पहुंचता है और इस आधार पर उन्हें गलत तरीके से बड़ी टैक्स देनदारी का सामना करना पड़ता है।
📣 सरकार से मांगी गई स्पष्ट नीति
व्यापारियों की मांग है कि:
डिजिटल ट्रांजेक्शन के लिए स्पष्ट गाइडलाइंस दी जाएं।
छोटे व्यापारियों के लिए एक सिंगल टैक्स स्लैब और सरल रिटर्न फाइलिंग प्रणाली हो।
बिना पूर्व जांच और संवाद के टैक्स नोटिस भेजने की प्रक्रिया पर रोक लगे।
🌐 डिजिटल इंडिया और ग्राउंड रियलिटी में फासला
सरकार ने बीते वर्षों में डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहित किया है। UPI नेशनल प्लेटफॉर्म पर लाखों लेन-देन रोज होते हैं और भारत को दुनिया में डिजिटल भुगतान में अग्रणी बताया जाता है। परन्तु जब ये डेटा टैक्स उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है, और विशेष रूप से बिना उचित संदर्भ के, तब यह छोटे व्यापारियों के लिए संकट का कारण बनता है।