
क्या सुबह उठते ही आपकी उंगलियां जकड़ी हुई लगती हैं? या फिर घुटनों में अकड़न और चलने-फिरने में दिक्कत होती है? अगर हां, तो यह सिर्फ थकान नहीं, गठिया की शुरुआत भी हो सकती है। यह बीमारी केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं है, 30 साल की उम्र के बाद भी गठिया के लक्षण नजर आ सकते हैं।
आइए समझते हैं कि यह दर्द शरीर के किन हिस्सों में हो सकता है, इसके लक्षण क्या हैं और इसके पीछे क्या कारण होते हैं।
शरीर में गठिया का दर्द कहां-कहां महसूस हो सकता है?
1. घुटनों में दर्द
गठिया सबसे अधिक घुटनों को प्रभावित करता है।
चलने, उठने-बैठने या सीढ़ियां चढ़ने में तकलीफ
सूजन और हल्की गर्माहट
घुटनों का अकड़ जाना
2. हाथों और उंगलियों के जोड़
सुबह के समय उंगलियों में अकड़न
उंगलियों में सूजन या हल्का दर्द
पकड़ने में कठिनाई
3. कमर और रीढ़ की हड्डी
लंबे समय तक बैठने के बाद कमर में जकड़न
झुकने या सीधा खड़े होने पर असहजता
गर्दन और पीठ में भी अकड़न या खिंचाव
4. टखने और पैर
सुबह उठते ही पैरों में तेज दर्द
चलने पर जलन और सूजन
जूते पहनने में दिक्कत या असहजता
गठिया होने की संभावित वजहें
1. जोड़ो में सूजन:
विशेष रूप से रुमेटॉइड गठिया में, शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जोड़ो को ही नुकसान पहुंचाने लगती है।
2. अधिक वजन:
शरीर का वजन बढ़ने पर जोड़ो पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे उनमें सूजन और दर्द हो सकता है।
3. पारिवारिक इतिहास:
अगर परिवार में किसी को गठिया रहा है, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है।
4. पुरानी चोट या असंतुलित जीवनशैली:
अनियमित दिनचर्या, चोटों की सही देखभाल न होना, या लंबे समय तक एक जैसी स्थिति में रहने से गठिया का खतरा रहता है।
क्यों नज़रअंदाज करना हो सकता है खतरनाक?
गठिया एक धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है। शुरुआत में इसके लक्षण मामूली लग सकते हैं, लेकिन यदि समय रहते इलाज न किया जाए, तो यह दैनिक जीवन को काफी प्रभावित कर सकती है।
अगर आप रोज़मर्रा के कामों में थकावट, जकड़न या दर्द महसूस कर रहे हैं, तो इसे अनदेखा न करें। समय पर जांच और उपचार से इसे नियंत्रण में रखा जा सकता है।
निष्कर्ष:
गठिया उम्र से जुड़ी बीमारी जरूर है, लेकिन अब यह युवाओं को भी प्रभावित कर रही है।
अगर शरीर के किसी जोड़ में लगातार दर्द, सूजन या अकड़न महसूस हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है कि शरीर आपको चेतावनी दे रहा है। सही समय पर उपचार और जीवनशैली में सुधार से आप गठिया के असर को कम कर सकते हैं और दर्दमुक्त जीवन जी सकते हैं।