
रात का सन्नाटा, शांत माहौल और बंद आंखें, लेकिन दिमाग में चल रही होती है विचारों की भागदौड़। ऐसा लगता है जैसे कोई अनदेखी फिल्म मन में चल रही हो — कभी पुरानी यादें, कभी आने वाली चिंताएं, और कभी यूं ही बेवजह की सोच।
सुबह उठते ही लगता है जैसे कोई भारी काम करके उठे हों — थकान, सिरदर्द और चिड़चिड़ापन। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है, तो यह एक संकेत हो सकता है कि आपका दिमाग सही मायनों में “आराम” नहीं कर पा रहा।
नींद में भी दिमाग क्यों रहता है एक्टिव?
विशेषज्ञों के अनुसार, नींद के दौरान हमारा दिमाग पूरी तरह बंद नहीं होता। लेकिन अगर सोच का सिलसिला बिना रुके चलता रहता है, तो वह नींद रिफ्रेशिंग नहीं रह जाती।
डॉ. कन्हैया लाल बताते हैं कि जब दिमाग लगातार सक्रिय रहता है, तो इसका असर हार्मोनल संतुलन, मानसिक शांति और अगली सुबह की ऊर्जा पर पड़ता है।
इसके संभावित कारण
🔸 तनाव और जिम्मेदारियों का बोझ – दिन भर की उलझनों को अगर मन में दबा लिया जाए, तो वही रात को उभरकर सामने आती हैं।
🔸 ज्यादा सोचने की आदत – बार-बार हर बात का विश्लेषण करने वालों को रात में भी दिमाग शांत नहीं रहता।
🔸 स्क्रीन का ओवरयूज़ – मोबाइल और लैपटॉप का देर रात तक इस्तेमाल दिमाग को थकाता नहीं, बल्कि और एक्टिव बना देता है।
🔸 भावनाओं का अधूरापन – कुछ बातें दिल में दबी रह जाती हैं, जो सोते वक्त बेचैनी बढ़ा देती हैं।
इसका असर क्या होता है?
- पूरी नींद नहीं हो पाती
- सुबह भारीपन और सुस्ती
- मूड में चिड़चिड़ापन
- एकाग्रता और याददाश्त में कमी
- दिनभर थकान और मोटिवेशन की कमी
राहत पाने के आसान उपाय
✅ सोने से एक घंटा पहले स्क्रीन से दूरी बनाएं – मोबाइल या लैपटॉप को खुद से दूर रखें।
✅ गर्म दूध या हर्बल चाय का सेवन करें – इससे शरीर और दिमाग को आराम मिलता है।
✅ अपने विचार डायरी में लिखें – इससे मन हल्का होता है और दिमाग शांत होता है।
✅ 5 से 10 मिनट मेडिटेशन करें – गहरी सांसें लें और मन को वर्तमान में लाएं।
✅ नियमित सोने और जागने का रूटीन बनाएं – इससे दिमाग खुद-ब-खुद रिलैक्स मोड में आना सीखता है।