
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि वह एक ऐसी महिला की वापसी सुनिश्चित करे जिसे पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान भेज दिया गया था। कोर्ट ने इसे मानवीय आधार पर गंभीर मामला माना है।
कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति राहुल भारती की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि “मानवाधिकार मानव जीवन का एक अनमोल हिस्सा है और संवैधानिक अदालतों का दायित्व है कि वे ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करें, भले ही कानूनी पेचिदगियां मौजूद हों।”
कोर्ट ने गृह मंत्रालय के सचिव को आदेश दिया है कि वह महिला को 10 दिनों के भीतर भारत वापस लाने की प्रक्रिया शुरू करें और उसे उसके परिवार से मिलवाएं।
याचिका में क्या कहा गया?
यह याचिका महिला की बेटी की ओर से दायर की गई थी, जिसमें कहा गया कि महिला के पति रशीद एक पाकिस्तानी नागरिक हैं जो लंबे समय से भारत में वैध वीजा पर रह रहे हैं। उन्होंने यहां विवाह किया और परिवार बसाया। याचिकाकर्ता ने बताया कि उनकी मां फिलहाल पाकिस्तान में हैं और वहां उनका ध्यान रखने वाला कोई नहीं है। वह कई गंभीर बीमारियों से भी जूझ रही हैं।
कोर्ट का मानवीय रुख
तीन पृष्ठों के आदेश में अदालत ने स्पष्ट किया कि “ऐसे मामलों में केवल कानूनी दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना चाहिए।”
कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि यदि सरकार चाहती है तो वह बाद में मामले के कानूनी पहलुओं की समीक्षा कर सकती है, लेकिन फिलहाल महिला की सुरक्षित और शीघ्र वापसी सर्वोपरि है।