
श्रीनगर से एक अहम सियासी घटनाक्रम में, पूर्व अलगाववादी नेता बिलाल गनी लोन ने न केवल हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की अप्रासंगिकता पर सवाल उठाए, बल्कि पाकिस्तान की नीति और कश्मीर में उसके हस्तक्षेप की भी खुलकर आलोचना की। इसके बाद प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) से जुड़े ‘कश्मीर फाइट’ नामक कुख्यात सोशल मीडिया हैंडल ने उन्हें खुली चेतावनी जारी की है।
बिलाल गनी लोन का यह साहसिक बयान, अलगाववादी राजनीति के अंधेरे गलियारों से बाहर निकलकर मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
कौन हैं बिलाल गनी लोन?
बिलाल गनी लोन जम्मू-कश्मीर के एक प्रमुख राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके पिता अब्दुल गनी लोन अलगाववादी नेता थे और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अहम सदस्य रहे हैं। हालांकि, 2002 में उनकी हत्या के बाद, बिलाल लोन ने लंबे समय तक हुर्रियत के भीतर सक्रिय रहते हुए भी अक्सर ‘शांतिपूर्ण संवाद’ और ‘विकासवादी सोच’ को प्राथमिकता दी।
हालिया वर्षों में बिलाल गनी लोन ने अलगाववाद की बजाय विकास, शांति और सामाजिक स्थिरता की बात करना शुरू किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि युवा पीढ़ी को भारत को दुश्मन नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखना चाहिए।
क्या कहा बिलाल लोन ने अपने इंटरव्यू में?
बिलाल लोन ने हाल ही में समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कई अहम बातें कहीं। उन्होंने स्वीकार किया कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अब अप्रासंगिक हो चुकी है, क्योंकि वह समय और स्थितियों के अनुसार खुद को ढाल नहीं सकी। उन्होंने आरोप लगाया कि हुर्रियत और पाकिस्तान दोनों ने ही कश्मीर में स्थायी समाधान के कई अवसर खो दिए हैं।
उन्होंने कहा, > “अब समय है कि हम सच्चाई को स्वीकार करें। भारत एक बहुत बड़ी ताकत है और युवाओं को इससे लड़ने के बजाय इसे समझना और इसमें अपनी जगह बनाना चाहिए।”
लोन का यह बयान न सिर्फ मुख्यधारा की राजनीति की ओर उनका झुकाव दिखाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि अब कश्मीर में विचारधारा की नई बयार बहने लगी है।
टीआरएफ की धमकी और सोशल मीडिया पोस्ट
बिलाल लोन के बयान के तुरंत बाद, सोशल मीडिया पर कश्मीर फाइट नामक एक खतरनाक और चरमपंथी हैंडल ने उनकी कड़ी आलोचना करते हुए उन्हें “कठपुतली” और “दलाल” कहा। पोस्ट में लिखा गया कि > “बिलाल लोन का असली चेहरा अब सामने आ गया है। वह वर्षों से दिल्ली के लिए काम कर रहा था।”
टीआरएफ ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो लोग ऐसे ‘जोकरों’ का समर्थन कर रहे हैं, उन्हें आत्मचिंतन करना चाहिए और कश्मीर के लोगों से माफ़ी मांगनी चाहिए। ये शब्द सीधे-सीधे धमकी के दायरे में आते हैं, खासकर उस क्षेत्र में जहां आतंकी गतिविधियां और विचारधारात्मक नफरत पहले ही गहरी जड़ें जमा चुकी हैं।
टीआरएफ: कौन हैं ये और क्या है इतिहास?
The Resistance Front (TRF) कश्मीर में सक्रिय एक उग्रवादी संगठन है, जिसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा का समर्थन प्राप्त है। अमेरिका के विदेश विभाग ने हाल ही में इस संगठन को वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया है।
22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई, की जिम्मेदारी भी TRF ने ही ली थी। इसके बाद से यह संगठन अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों की नजर में आ गया है।
कश्मीर की बदलती सियासी फिजा
बिलाल गनी लोन जैसे नेताओं का मुख्यधारा में लौटना यह दर्शाता है कि अब कश्मीर में अलगाववाद की जमीन खिसक रही है। जहां पहले बंदूक और अलगाववाद की भाषा बोलने वाले नेता थे, आज वही नेता भारत की ताकत और लोकतंत्र की बात कर रहे हैं।
कश्मीर में लगातार बेहतर होती विकास योजनाएं, युवाओं को मिलने वाले रोजगार, इंफ्रास्ट्रक्चर में बढ़ोतरी, और आतंकवाद पर सख्ती — इन सबने जनता के भीतर बदलाव की चाहत को जन्म दिया है। अब लोग अलगाव की नहीं, रोजगार, शांति और विकास की बात कर रहे हैं।
युवाओं के लिए संदेश
बिलाल गनी लोन ने युवाओं को यह स्पष्ट संदेश दिया कि > “भारत को राजनीतिक दलों के चश्मे से न देखें। भारत को भारत के रूप में देखें और उसमें अपने लिए अवसर तलाशें।”
यह विचार न केवल सुलह और समझदारी का है, बल्कि वो भावनात्मक अपील भी है, जो युवाओं को आतंक की राह छोड़ने की प्रेरणा दे सकती है।
निष्कर्ष: एक विचारधारात्मक परिवर्तन की शुरुआत?
बिलाल गनी लोन के बयान से और टीआरएफ की प्रतिक्रिया से साफ है कि कश्मीर में अब केवल बंदूक और बयानबाजी से काम नहीं चलने वाला। लोग सच देख और समझ रहे हैं। भारत के साथ जुड़ाव अब किसी दबाव या मजबूरी का नतीजा नहीं, बल्कि समझदारी और भविष्यदृष्टि का संकेत बन रहा है।
यदि ऐसे नेता बिना डरे अपनी बात कहते रहेंगे और सरकार व समाज उन्हें सुरक्षा और समर्थन देता रहेगा, तो आने वाले वर्षों में कश्मीर एक नई, समृद्ध और शांतिपूर्ण दिशा में अग्रसर हो सकता है।