भोपाल में बड़ा प्रशासनिक फैसला: स्कूलों में ई-रिक्शा पर लगेगा प्रतिबंध, बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि

भोपाल शहर में ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने और सड़क सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को आयोजित एक उच्चस्तरीय मीटिंग में सांसद आलोक शर्मा ने जिला प्रशासन, नगर निगम, पुलिस और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ मिलकर कई अहम फैसले लिए। इस मीटिंग में सबसे बड़ा और चौंकाने वाला फैसला यह रहा कि अब स्कूलों में ई-रिक्शा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाएगा।

इस निर्णय के पीछे बच्चों की सुरक्षा को मुख्य कारण बताया गया है। प्रशासन का कहना है कि ई-रिक्शा का गलत तरीके से इस्तेमाल हो रहा है और बच्चों को इससे स्कूल भेजना अब सुरक्षित नहीं माना जा सकता।


ई-रिक्शा पर प्रतिबंध: क्यों लिया गया यह फैसला?

हाल के वर्षों में भोपाल शहर में ई-रिक्शा की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है। सस्ती सवारी और कम लागत के कारण लोग इन्हें स्कूल वाहनों के रूप में भी इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन इन रिक्शों में ओवरलोडिंग, अनट्रेंड ड्राइवर, और सुरक्षा उपकरणों की कमी जैसी समस्याएं अक्सर सामने आती हैं।

कलेक्टर और सांसद आलोक शर्मा ने इस पर गंभीर चिंता जताई और स्पष्ट रूप से कहा कि “बच्चों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता।” इसीलिए स्कूलों के बाहर और बच्चों की सवारी के लिए ई-रिक्शा को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया गया

यह निर्णय बच्चों के अभिभावकों के लिए राहत की तरह है, जो अक्सर ई-रिक्शा की ओवरलोडिंग और अनियंत्रित ड्राइविंग को लेकर चिंतित रहते थे।


ट्रैफिक सुधार के लिए विस्तृत योजना

ई-रिक्शा प्रतिबंध के अलावा बैठक में ट्रैफिक को व्यवस्थित करने के लिए और भी कई कदमों पर चर्चा हुई। भोपाल के 42 प्रमुख चौराहों पर लेफ्ट टर्न सुधार की योजना बनाई गई है। इसके लिए 3 करोड़ रुपये का विशेष बजट रखा गया है।

सांसद आलोक शर्मा ने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को फटकार लगाई क्योंकि वे बिना किसी स्पष्ट कार्य योजना के बैठक में शामिल हुए थे। सांसद ने निर्देश दिए कि एक सप्ताह के भीतर ट्रैफिक एक्सपर्ट्स की मदद से सभी 42 चौराहों की रिपोर्ट और लागत का आकलन तैयार किया जाए।

इससे न केवल ट्रैफिक जाम की समस्या को सुलझाने में मदद मिलेगी, बल्कि सड़क सुरक्षा और दृश्यता में भी सुधार होगा। यह योजना खासतौर पर व्यस्त सड़कों और स्कूल-जोन के पास लागू की जाएगी ताकि बच्चों और पैदल चलने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।


सड़क से अतिक्रमण हटेगा, कंडम वाहन होंगे बाहर

मीटिंग में यह भी तय हुआ कि अवैध अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। कई जगहों पर अतिक्रमण की वजह से सड़कें संकरी हो गई हैं और इससे ट्रैफिक की रफ्तार धीमी पड़ जाती है।

साथ ही, शहर की सड़कों पर खड़े कंडम और अनुपयोगी वाहन भी ट्रैफिक की बाधा बन चुके हैं। प्रशासन ने निर्देश दिए कि ऐसे वाहनों की पहचान कर उन्हें हटाया जाए। इससे सड़कों पर जगह बढ़ेगी और आवाजाही सुगम होगी।


पार्किंग व्यवस्था होगी दुरुस्त

पार्किंग भी भोपाल में एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। सांसद ने अधिकारियों से कहा कि आम लोगों के लिए सुलभ और सुरक्षित पार्किंग की व्यवस्था की जाए। इसके लिए नगर निगम को भी निर्देश दिए गए कि वो मल्टी-लेवल पार्किंग के विकल्पों पर विचार करे और भीड़भाड़ वाले इलाकों में पार्किंग प्लान बनाए।

इसके अलावा, बिजली विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि सड़क किनारे लगे पुराने ट्रांसफार्मर और खंभों को हटाया जाए, जो अक्सर ट्रैफिक के रास्ते में बाधा बनते हैं।


पीडब्ल्यूडी को मिला अल्टीमेटम

बैठक में पीडब्ल्यूडी अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई। वे बिना किसी प्लानिंग के बैठक में पहुंचे, जिससे सांसद आलोक शर्मा काफी नाराज़ हुए। उन्होंने साफ कहा कि आने वाले दिनों में यदि ठोस योजना नहीं बनाई गई, तो विभाग के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उन्हें स्पष्ट निर्देश दिए गए कि मैनिट (MANIT) के ट्रैफिक विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करें और जल्द से जल्द एक व्यावहारिक कार्य योजना प्रस्तुत करें।


निष्कर्ष: बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता

भोपाल प्रशासन द्वारा लिया गया ई-रिक्शा पर प्रतिबंध का फैसला उन सभी अभिभावकों के लिए राहत की खबर है, जो रोज़ बच्चों को स्कूल भेजते हुए चिंता में रहते हैं। साथ ही, यह निर्णय शहर में बढ़ते ट्रैफिक और सुरक्षा संकट के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है।

प्रशासन का यह प्रयास सराहनीय है कि वह सिर्फ समस्या की पहचान नहीं कर रहा, बल्कि ठोस और सख्त कदम उठा रहा है। आने वाले समय में यदि इन योजनाओं को सही ढंग से लागू किया गया, तो भोपाल की ट्रैफिक व्यवस्था में न केवल सुधार होगा, बल्कि यह अन्य शहरों के लिए भी मिसाल बन सकती है।

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