
केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की ज़िंदगी इस वक्त सबसे नाजुक मोड़ पर है। यमन में बंद निमिषा को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। अदालत से सज़ा सुनाए जाने के बाद अब तक तमाम प्रयास नाकाम हो चुके हैं — और अब बचाव के लिए सिर्फ एक आखिरी रास्ता बचा है: ब्लड मनी।
⚖️ क्या है ब्लड मनी का मामला?
यमन के कानून के मुताबिक, अगर मृतक के परिवार वाले अपराधी को माफ कर दें और ब्लड मनी स्वीकार कर लें, तो सजा से राहत मिल सकती है। इसी उम्मीद में निमिषा का परिवार 10 लाख डॉलर (करीब 8.6 करोड़ रुपये) देने को तैयार है।
‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के कार्यकर्ता के अनुसार, अब यही एकमात्र उम्मीद है। अगर मृतक का परिवार उन्हें माफ कर देता है, तो निमिषा की फांसी टल सकती है।
🌍 एक बेहतर ज़िंदगी की तलाश में यमन पहुंचीं थीं
निमिषा प्रिया, एक साधारण परिवार से थीं और 2008 में नौकरी की तलाश में यमन गई थीं। शुरुआत में वहाँ उन्होंने कई अस्पतालों में बतौर नर्स काम किया, और बाद में अपना खुद का क्लिनिक खोलने की कोशिश की। मगर यमन में विदेशी नागरिकों को व्यापार करने के लिए स्थानीय पार्टनर की आवश्यकता होती है — इसी सिलसिले में उन्होंने तलाल अब्दो मेहदी को साझेदार बनाया।
लेकिन जल्द ही वह साझेदारी एक दु:स्वप्न बन गई।
🧪 कैसे हुआ मामला हत्या में तब्दील?
बताया जाता है कि मेहदी ने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया था और उसे परेशान करता था। 2017 में, पासपोर्ट वापस लेने की कोशिश में निमिषा ने उसे बेहोश करने की दवा दी — लेकिन दवा की अधिक मात्रा से उसकी मौत हो गई। इसके बाद जब निमिषा देश छोड़ने की कोशिश कर रही थीं, तब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
💸 सुलह की आखिरी कोशिश
परिवार की तरफ से सैमुअल जेरोम, जो सना (यमन) में हैं, बातचीत की अगुवाई कर रहे हैं। उन्होंने मृतक के परिवार को ब्लड मनी के तौर पर 10 लाख डॉलर की पेशकश की है। अभी तक यमनी परिवार ने कोई अंतिम जवाब नहीं दिया है। अगर वे माफ करते हैं, तो निमिषा की ज़िंदगी बच सकती है।