यमन में फांसी की सजा झेल रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की बच सकती है जान! ब्लड मनी ही आखिरी उम्मीद

Nimisha Priya News Today: यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के पास अब सिर्फ 24 घंटे बचे हैं। उसे 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी है। लेकिन इस बीच भारत के एक प्रभावशाली सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु ने मामले में हस्तक्षेप किया है और एक बार फिर ब्लड मनी के जरिए जान बचाने की उम्मीद जगी है।

निमिषा प्रिया को 2017 में यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। 2020 में उसे मौत की सजा सुनाई गई थी। अब भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद इस केस में सक्रिय हुए हैं और महदी के परिवार से ब्लड मनी स्वीकार करने की अपील कर रहे हैं।


कौन हैं निमिषा प्रिया?

  • उम्र: 37 वर्ष

  • मूल स्थान: पलक्कड़, केरल

  • पेशा: नर्स

  • कार्यक्षेत्र: यमन की राजधानी सना

  • दोष: यमनी नागरिक की हत्या

निमिषा केरल से एक प्रोफेशनल नर्स हैं जो रोजगार के लिए यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर व्यवसाय शुरू किया था।


निमिषा पर लगे गंभीर आरोप

  • हत्या (मर्डर)

  • शव के अंग काटकर छिपाने का प्रयास

  • देश से भागने की कोशिश

निमिषा ने बताया कि महदी द्वारा लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक उत्पीड़न किया गया था। वह महदी से अपना पासपोर्ट वापस लेना चाहती थीं। इसके लिए उन्होंने उसे बेहोश करने वाली दवा दी, लेकिन ओवरडोज से उसकी मौत हो गई

निमिषा पर आरोप है कि उसने शव के टुकड़े किए और एक टैंक में छिपाया। जब वह देश छोड़ने की कोशिश कर रही थी, तब उसे गिरफ्तार कर लिया गया


यमन में लागू है शरिया कानून

यमन में शरिया कानून (Islamic Law) लागू है। इसके अंतर्गत हत्या के मामलों में ब्लड मनी (खून की कीमत) का प्रावधान है। यानी अगर पीड़ित का परिवार माफ कर दे, तो सजा टल सकती है।

ब्लड मनी में एक निश्चित रकम दी जाती है, जिसे पीड़ित के परिवार को देने पर वे क्षमा कर सकते हैं। लेकिन अभी तक महदी के परिवार ने इस पर सहमति नहीं दी है।


ग्रैंड मुफ्ती अबूबकर अहमद आए आगे

भारत के प्रमुख सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु शेख अबूबकर अहमद ने इस मामले में मध्यस्थता की कोशिश शुरू कर दी है।

  • वे यमन में धार्मिक और सामुदायिक नेताओं से संपर्क कर रहे हैं।

  • उन्होंने महदी के परिवार से संवाद शुरू किया है

  • उनका मिशन है कि ब्लड मनी स्वीकार की जाए और निमिषा की जान बचाई जाए


कानूनी टीम की कोशिशें

निमिषा प्रिया के वकील सुभाष चंद्रन के अनुसार,

“प्रिया का इरादा हत्या का नहीं था, बल्कि वह खुद को बचाना चाहती थीं। उन्हें उम्मीद है कि मानवीय आधार पर फैसला लिया जाएगा।”

कई मानवाधिकार संगठन, भारतीय प्रवासी ग्रुप्स और स्वतंत्र वकील भी इस केस में सक्रिय हैं। उन्होंने भारत सरकार से भी अनुरोध किया है कि वह यमन सरकार से राजनयिक स्तर पर बात करे


ब्लड मनी ही आखिरी रास्ता

निमिषा को बचाने का अब सिर्फ एक ही रास्ता बचा है – ब्लड मनी। अगर पीड़ित का परिवार पैसा लेकर माफ कर दे, तो फांसी टल सकती है।

“यमन की जेल में बंद एक भारतीय महिला को फांसी से बचाना हमारी मानवता की परीक्षा है।” – एक एक्टिविस्ट


निमिषा के लिए सोशल मीडिया पर अभियान

#SaveNimishaPriya ट्रेंड कर रहा है।
लोग सरकार और विदेश मंत्रालय से अपील कर रहे हैं:

  • भारतीय नागरिक को न्याय दिलाओ

  • महिला को दूसरा मौका दो

  • मानवीय दृष्टिकोण अपनाओ


निष्कर्ष: क्या बचेगी निमिषा की जान?

अब सबकी निगाहें महदी के परिवार और ब्लड मनी वार्ता पर हैं। अगर धर्मगुरु अबूबकर अहमद अपने प्रयास में सफल होते हैं, तो निमिषा प्रिया की फांसी टल सकती है

एक पेशेवर भारतीय नर्स, जिसने शायद डर और उत्पीड़न से बचने के लिए कदम उठाया, आज मौत के मुहाने पर खड़ी है। क्या ब्लड मनी के सहारे उसकी जान बचेगी? जवाब अगले 24 घंटों में सामने आएगा।

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