
जब हाल ही में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष की उड़ान भरी, तो देशवासियों को भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा की याद ताजा हो गई — वही शख्स जिन्होंने अंतरिक्ष से कहा था:
“सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तां हमारा”
🚀 शुभांशु की उड़ान और एक ऐतिहासिक याद
वायुसेना के अफसर शुभांशु शुक्ला जैसे ही धरती की सीमा से बाहर गए, लोगों को चार दशक पहले की उस याद ने छू लिया जब एक और फाइटर पायलट, राकेश शर्मा, अंतरिक्ष में गए थे। उन्होंने सिर्फ विज्ञान नहीं, संस्कृति और आत्मा की आवाज भी साथ ले गए थे। उन्होंने वहां योग किया, और शून्य गुरुत्वाकर्षण में योग के प्रभावों पर अध्ययन भी किया।
🧘♂️ योग, भारतीय खाना और आत्मिक जुड़ाव
राकेश शर्मा के मिशन के दौरान उनके लिए विशेष रूप से भारतीय भोजन तैयार किया गया था ताकि वे अंतरिक्ष में भी अपनी जड़ों से जुड़े रहें। आज शुभांशु शुक्ला भी इसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं – अपने साथ मलिहाबादी दशहरी आम और हलवा ले जाकर।
🛰️ अंतरिक्ष में सात दिन, 43 प्रयोग
3 अप्रैल 1984 को, राकेश शर्मा सोवियत संघ के सोयुज टी-11 रॉकेट में सवार होकर अंतरिक्ष गए थे। उन्होंने सल्युत 7 स्पेस स्टेशन पर 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए और 43 वैज्ञानिक प्रयोग किए। यह भारत के वैज्ञानिक इतिहास का स्वर्णिम अध्याय बन गया।
🧑🚀 कहाँ हैं अब राकेश शर्मा?
आज राकेश शर्मा अपनी पत्नी के साथ तमिलनाडु के हरे-भरे इलाके कून्नूर में रहते हैं। मीडिया से दूर, एक सादा और संतुलित जीवन – बागवानी, योग, गोल्फ और अध्ययन से भरा हुआ।
जन्म: 13 जनवरी 1949, पटियाला
करियर: वायुसेना में मिग-21 के पायलट, फिर HAL में चीफ टेस्ट पायलट
बाद में जुड़े एक निजी कंपनी के बोर्ड से
बेटे हैं फिल्म निर्देशक, बेटी कलाकार
🌟 सम्मान और योगदान
अशोक चक्र – भारत का सर्वोच्च शांति-कालीन वीरता सम्मान
हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन – अंतरराष्ट्रीय मान्यता
वर्तमान में वे गगनयान मिशन से जुड़े राष्ट्रीय अंतरिक्ष सलाहकार परिषद के सदस्य हैं
🗣️ अनुभव जो प्रेरणा देता है
राकेश शर्मा ने एक कार्यक्रम में कहा था –
“अंतरिक्ष से लौटते वक्त जो कंपन और आवाज होती है, वो रोंगटे खड़े कर देने वाली होती है… लेकिन जो अनुभव साथ आता है, वो जीवन भर प्रेरणा देता है।”