
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान एक ऐसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, जिसकी मारक क्षमता अमेरिका तक पहुंच सकती है। यह खबर अमेरिका के रणनीतिक हलकों में गंभीर चिंता का विषय बन गई है।
बढ़ती परमाणु क्षमता पर वैश्विक नजर
रक्षा मामलों से जुड़ी अंतरराष्ट्रीय विश्लेषणों में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहा है। अब तक यह माना जाता रहा है कि पाकिस्तान की परमाणु नीति भारत तक सीमित है, लेकिन हालिया गतिविधियों से ऐसा प्रतीत होता है कि उसकी रणनीति अब अधिक वैश्विक स्तर पर पहुंच बनाने की है।
अमेरिका की सुरक्षा नीति पर असर
अमेरिकी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि पाकिस्तान एक प्रभावशाली ICBM तकनीक विकसित कर लेता है, तो इससे अमेरिका की वैश्विक परमाणु सुरक्षा नीति पर असर पड़ेगा। अमेरिका आमतौर पर उन्हीं देशों को रणनीतिक सहयोगी मानता है, जिनके पास उसके खिलाफ लंबी दूरी की परमाणु हमले की क्षमता नहीं होती।
क्यों कर रहा है पाकिस्तान ऐसी तैयारी?
विश्लेषकों के अनुसार, पाकिस्तान की यह तैयारी सिर्फ सैन्य ताकत दिखाने के लिए नहीं है, बल्कि एक “रणनीतिक संदेश” भी है। उसका उद्देश्य यह संकेत देना हो सकता है कि किसी संभावित संघर्ष की स्थिति में वह केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिक्रिया देने की क्षमता रखता है।
परमाणु इतिहास और वर्तमान स्थिति
पाकिस्तान ने 1998 में खुद को एक परमाणु शक्ति के रूप में स्थापित किया था। वर्तमान अनुमान के अनुसार उसके पास लगभग 165 परमाणु हथियार हैं। हालांकि उसने न तो परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और न ही परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) पर हस्ताक्षर किए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपने परमाणु कार्यक्रम को पूर्ण रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता से जोड़कर देखता है।
बढ़ती वैश्विक चुनौतियां
रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान के साथ-साथ अब पाकिस्तान को लेकर भी अमेरिका की रणनीतिक चुनौतियां बढ़ रही हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और सुरक्षा परिषद इस विषय पर क्या रुख अपनाती है।