
दुनिया के कई हिस्सों में धार्मिक पहनावे को लेकर बहस चल रही है, लेकिन एक ऐसा देश भी है जहां मुस्लिम आबादी बहुमत में है, राष्ट्रपति भी इस्लाम धर्म को मानते हैं, फिर भी चेहरा ढकने वाले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाया गया है।
यह देश है कजाकिस्तान, जो एशिया का एक बड़ा और रणनीतिक रूप से अहम राष्ट्र माना जाता है। यहां की संसद ने हाल ही में एक कानून पारित किया है जिसके तहत नकाब, बुर्का और अन्य ऐसे कपड़े जो सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा पूरी तरह ढकते हैं, अब प्रतिबंधित होंगे।
क्यों लिया गया ये फैसला?
कजाकिस्तान सरकार का कहना है कि यह निर्णय सुरक्षा कारणों और देश की धर्मनिरपेक्ष पहचान बनाए रखने के उद्देश्य से लिया गया है। प्रशासन के अनुसार, चेहरे को ढकने वाले कपड़े पहचान प्रक्रिया में बाधा डालते हैं, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
इस कानून में हालांकि कुछ विशेष परिस्थितियों में छूट दी गई है, जैसे:
मेडिकल जरूरतों के तहत
मौसम से बचाव के लिए
ऑफिस या कार्यस्थल की ड्रेस कोड में
सांस्कृतिक या पारंपरिक आयोजनों में
सिविल डिफेंस जैसे आपातकालीन मामलों में
राष्ट्रपति का रुख क्या है?
राष्ट्रपति कासिम-जोमार्त टोकायेव, जो खुद इस्लाम धर्म के अनुयायी हैं, उन्होंने भी चेहरा ढकने वाले लिबास को देश की परंपरागत संस्कृति के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि नकाब जैसे वस्त्र कजाकिस्तान की संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि यह प्रभाव बाहरी कट्टरपंथी सोच से आया है।
क्या यह पहली बार हुआ है?
नहीं। इससे पहले भी:
2017 में स्कूली छात्राओं के लिए हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया था।
2023 में यह प्रतिबंध स्कूल के सभी छात्रों और शिक्षकों पर लागू हुआ।
उस समय भी छात्राओं ने विरोध जताया और कई लड़कियों ने स्कूल जाना बंद कर दिया था।
मुस्लिम देश होते हुए भी धर्मनिरपेक्ष नीति क्यों?
कजाकिस्तान की 70% से अधिक आबादी मुस्लिम है, लेकिन देश का संविधान धर्मनिरपेक्षता को प्राथमिकता देता है। सरकार की नीतियां सभी समुदायों के लिए समान हैं। राष्ट्रपति टोकायेव खुद भी रमज़ान के दौरान रोज़ा रखते हैं और उमराह भी कर चुके हैं, लेकिन उनका मानना है कि राजनीति और प्रशासन को धर्म से अलग रखा जाना चाहिए।
क्या कजाकिस्तान अकेला है?
नहीं। उज़्बेकिस्तान और किर्गिस्तान जैसे पड़ोसी देशों ने भी हाल ही में इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इस क्षेत्र में धार्मिक कट्टरता के प्रभाव को सीमित करने की नीति पर सभी देश काम कर रहे हैं।