कोकिला व्रत 2025: कब है यह शुभ पर्व, क्या है इसका महत्व और पूजा विधि?

कोकिला व्रत एक पारंपरिक व्रत है जिसे खासकर सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख-शांति के लिए करती हैं। यह पर्व आषाढ़ पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और माना जाता है कि इसकी शुरुआत माता पार्वती ने स्वयं भगवान शिव को पाने के लिए की थी।


📅 कोकिला व्रत 2025 में कब है?

  • तारीख: 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)

  • आषाढ़ पूर्णिमा तिथि:

    • प्रारंभ: 10 जुलाई, सुबह 1:26 बजे

    • समाप्ति: 11 जुलाई, सुबह 2:06 बजे

  • प्रदोष पूजा मुहूर्त: रात 7:22 से रात 9:24 (अवधि: 2 घंटे 2 मिनट)


🌸 कोकिला व्रत का महत्व

  • यह व्रत देवी सती और भगवान शिव को समर्पित होता है।

  • ‘कोकिला’ शब्द का संबंध कोयल पक्षी से है, जिसे देवी सती का प्रतीक माना गया है।

  • मान्यता है कि इस व्रत को करने वाली स्त्री को अखंड सौभाग्य, संतान सुख और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है।

  • यह व्रत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और बंगाल में मनाया जाता है।


🛕 पूजा विधि (साधारण और सरल भाषा में)

  1. महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और पूरे महीने जड़ी-बूटियों वाले स्नान करती हैं।

  2. भोजन में मांसाहार, अनाज, और तीखे मसालों से परहेज होता है। केवल फल, दूध, कंद-मूल आदि ग्रहण किया जाता है।

  3. मिट्टी से कोयल की प्रतिमा बनाकर उसे देवी सती का रूप मानते हुए विशेष पूजा की जाती है।

  4. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र, आक, धतूरा, दूध, दही, पंचामृत, गंगा-यमुना-सरस्वती का जल आदि से अभिषेक किया जाता है।

  5. पूजा के बाद कोयल की प्रतिमा को ब्राह्मण या सास-ससुर को दान किया जाता है।

  6. व्रत करने वाली महिला को अनुशासन और संयम से इसका पालन करना चाहिए।


🙏 क्यों खास है हरियाली तीज से पहले यह पर्व?

हरियाली तीज जहां श्रावण में आता है, वहीं कोकिला व्रत आषाढ़ पूर्णिमा को होता है। दोनों व्रत पति की दीर्घायु और सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए किए जाते हैं। लेकिन कोकिला व्रत को विवाहपूर्व अथवा नवविवाहित महिलाओं के लिए विशेष शुभ माना गया है।


🐦 कोयल के दर्शन का महत्व

इस दिन यदि स्वर कोकिला (कोयल) का दर्शन या आवाज़ सुनने को मिले, तो उसे अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है।

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