
इस्लामाबाद: पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर इन दिनों अंतरराष्ट्रीय मंच पर काफी सक्रिय हैं। वे लगातार विदेशी दौरों पर हैं और वैश्विक नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन दौरों में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की कोई भूमिका नजर नहीं आ रही, जिससे सवाल उठने लगे हैं कि पाकिस्तान में अब असली सत्ता किसके हाथ में है?
🇱🇰 श्रीलंका के बाद अब जकार्ता की बारी
जनरल मुनीर 21 जुलाई को श्रीलंका की यात्रा पर जाने वाले हैं। इससे पहले वे अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर जा चुके हैं, जहां उन्हें व्हाइट हाउस में विशेष मेहमान के रूप में आमंत्रित किया गया था। अब ताजा जानकारी के मुताबिक, वे श्रीलंका के बाद इंडोनेशिया जाने की तैयारी में हैं। यह वही देश है जो भारत का रणनीतिक मित्र रहा है और आतंकवाद के मुद्दे पर खुलकर भारत के साथ खड़ा रहा है।
🤝 भारत के मित्र देश से संबंध सुधारने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, जनरल मुनीर का इंडोनेशिया दौरा द्विपक्षीय संबंधों को दोबारा सक्रिय करने की एक रणनीति है। वे जकार्ता में प्रभावशाली अधिकारियों और रणनीतिक विशेषज्ञों से मुलाकात कर सकते हैं। इंडोनेशिया की लोकतांत्रिक व्यवस्था और भारत के साथ अच्छे रिश्ते पाकिस्तान के लिए कूटनीतिक चुनौती बने हुए हैं। खासतौर से आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भारत और इंडोनेशिया का नजरिया काफी मेल खाता है।
🇮🇳 कश्मीर मुद्दे पर इंडोनेशिया ने पाकिस्तान को किया था निराश
इस साल मई में इंडोनेशिया ने OIC (इस्लामिक सहयोग संगठन) की संसदीय बैठक के दौरान कश्मीर पर पाकिस्तान द्वारा उठाए गए प्रस्ताव को समर्थन देने से इनकार कर दिया था। भारत के करीबी मिस्र और बहरीन भी इस रुख में इंडोनेशिया के साथ थे। इससे पाकिस्तान की भारत-विरोधी कोशिशों को बड़ा झटका लगा था।
🧳 प्रबोवो की भारत यात्रा और पाकिस्तान को दूसरा झटका
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने के लिए भारत की यात्रा की थी। वे पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से ज्यादा समय तक नई दिल्ली में रुके और पाकिस्तान की अपनी यात्रा को स्थगित कर दिया। इससे यह संदेश गया कि इंडोनेशिया भारत के साथ रणनीतिक रूप से ज्यादा मजबूत संबंध बनाना चाहता है।
🧠 आतंकवाद पर सहयोग: ISIS से जुड़े आतंकियों को भारत सौंपा
भारत और इंडोनेशिया के बीच सहयोग का एक और उदाहरण तब सामने आया, जब इंडोनेशिया ने दो ISIS संदिग्धों को भारत को सौंपा। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई इंडोनेशियाई राष्ट्रपति और नई दिल्ली में भारतीय राजदूत के बीच हुई चर्चा के बाद हुई थी। इस दौरान हालिया आतंकी हमलों पर भी विचार-विमर्श हुआ था।