
माइक्रोसॉफ्ट ने अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में एक ऐतिहासिक बदलाव करते हुए करीब चार दशक पुराने ‘ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ’ (BSOD) को बदलने का फैसला लिया है। अब सिस्टम में गंभीर गड़बड़ी के समय नीली स्क्रीन के बजाय काली स्क्रीन दिखाई देगी, जिसे ‘ब्लैक स्क्रीन ऑफ डेथ’ कहा जाएगा।
🖥️ क्यों बदली गई नीली स्क्रीन?
विंडोज रेजिलिएंसी इनिशिएटिव के तहत माइक्रोसॉफ्ट ने यह बदलाव किया है। इसका मकसद सिस्टम एरर को और ज्यादा साफ़, सटीक और उपयोगी तरीके से दिखाना है। नई ब्लैक स्क्रीन उपयोगकर्ता को बताएगी कि कंप्यूटर क्रैश क्यों हुआ, जिससे आईटी एक्सपर्ट्स और यूजर्स दोनों को समस्या पहचानने में आसानी होगी।
🧠 BSOD का इतिहास क्या है?
1985 में विंडोज सिस्टम में पहली बार ब्लू स्क्रीन ऑफ डेथ दिखाई दी थी। यह एक चेतावनी स्क्रीन थी जो सिस्टम क्रैश या गंभीर तकनीकी समस्या आने पर सामने आती थी। समय के साथ, यह स्क्रीन विंडोज यूज़र्स के लिए एक डरावना संकेत बन गई थी।
⚙️ विंडोज 11 में आएगा ये नया बदलाव
माइक्रोसॉफ्ट ने इस बदलाव की शुरुआत विंडोज 11 के लेटेस्ट अपडेट्स में कर दी है। फिलहाल यह रिलीज प्रीव्यू चैनल पर उपलब्ध है और जल्दी ही सभी यूज़र्स को यह ब्लैक स्क्रीन अपडेट मिलने लगेगा।
🛠️ QMR: क्विक मशीन रिकवरी टूल क्या है?
ब्लैक BSOD के साथ माइक्रोसॉफ्ट एक और नया फीचर जोड़ रहा है – QMR (Quick Machine Recovery)। यह टूल तब मदद करेगा जब कंप्यूटर सामान्य तरीकों से ठीक न हो। QMR विंडोज रिकवरी एनवायरनमेंट के माध्यम से काम करेगा और बिना ज्यादा झंझट के सिस्टम को फिर से चालू करने की कोशिश करेगा।
🔍 पहले से चल रही थी तैयारी
ब्लैक स्क्रीन का आइडिया कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है। 2021 में विंडोज 11 के बीटा वर्जन में इसे टेस्ट किया गया था। वर्षों की टेस्टिंग और परख के बाद अब इसे स्थायी रूप से लागू किया जा रहा है।