DNA Movie Review: जब प्रेग्नेंट औरत ने बच्चे को देखा, तो चीख उठी – थ्रिलर का नया तूफान JioHotstar पर

अगर आप थ्रिलर फिल्मों के शौकीन हैं और स्क्रीन पर हर पल कुछ नया देखने की उम्मीद रखते हैं, तो आपके लिए एक ताज़ा सरप्राइज़ ओटीटी पर दस्तक दे चुका है। तमिल भाषा में बनी ‘DNA’ एक ऐसी फिल्म है जो न केवल मानसिक उलझनों को उकेरती है, बल्कि पारिवारिक, सामाजिक और भावनात्मक पहलुओं को भी बारीकी से छूती है। हाल ही में इस फिल्म को सिनेमाघरों में रिलीज़ किया गया था, और अब यह 19 जुलाई को JioHotstar पर हिंदी में भी उपलब्ध है।


कहानी की शुरुआत: जब सब कुछ ठीक नहीं था

‘DNA’ की कहानी एक ऐसी महिला दिव्या की है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर जैसी गंभीर मानसिक स्थिति से जूझ रही है। दिव्या को लगता है कि अस्पताल में उसके बच्चे की अदला-बदली हो गई है। उसे भरोसा है कि जो बच्चा उसे सौंपा गया है, वह उसका नहीं है। इस परिस्थिति में एक मां की चीख और संदेह, एक सस्पेंस का आगाज बन जाता है।

दिव्या का पति आनंद भी एक दिलचस्प किरदार है। वह कभी शराब में डूबा रहने वाला एक टूटा हुआ इंसान था, जिसने अपने जीवन की गाड़ी मुश्किलों से वापस पटरी पर लाने की कोशिश की है। लेकिन जब उसकी पत्नी की मानसिक स्थिति पर सब संदेह करते हैं, तो सिर्फ वही उसकी बातों पर विश्वास करता है।


मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक सोच की जटिलता

यह फिल्म एक थ्रिलर तो है ही, लेकिन इसका मुख्य आकर्षण है – मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज का रवैया। दिव्या का परिवार उसे शुरू से ही एक बोझ मानता है। उसकी शादी मुश्किलों से हुई है, और अब जब वह एक बच्चा जन्म देने वाली है, तब भी उस पर भरोसा नहीं किया जाता।

क्या अस्पताल में वाकई बच्चे की अदला-बदली हुई है? या दिव्या की मानसिक स्थिति उसे भ्रमित कर रही है? फिल्म इन्हीं दो धारणाओं के बीच दर्शकों को लटकाए रखती है और हर सीन में नए ट्विस्ट देकर कहानी को रोमांचक बनाए रखती है।


शानदार निर्देशन और परफॉर्मेंस

‘DNA’ का निर्देशन किया है नेल्सन वेंकटेशन ने, जो पहले ‘फरहाना’ और ‘मॉन्स्टर’ जैसी फिल्मों के लिए पहचाने जाते हैं। नेल्सन का निर्देशन इस फिल्म में इतना सधा हुआ है कि दर्शक एक भी सीन मिस नहीं करना चाहते। उन्होंने थ्रिल और इमोशन के संतुलन को बेहतरीन तरीके से बनाए रखा है।

निमिषा सजयन ने दिव्या के किरदार में जान फूंक दी है। एक मानसिक रूप से अस्थिर लेकिन अपने मातृत्व पर अडिग महिला की भूमिका उन्होंने बहुत ही गहराई और संवेदनशीलता से निभाई है। वहीं अथर्व मुरली आनंद के किरदार में पूरी तरह ढले नजर आते हैं – एक टूटा हुआ पति जो पत्नी के साथ खड़ा है, चाहे दुनिया कुछ भी कहे।


टेक्निकल पहलू और म्यूजिक

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर सस्पेंस को लगातार बनाए रखता है। हॉस्पिटल के सीन, रात के सन्नाटे और कैमरा एंगल्स सभी मिलकर एक डर और बेचैनी का माहौल बनाते हैं। फिल्म की सिनेमैटोग्राफी कहानी को और भी मजबूत बनाती है, जो दर्शकों को फिल्म के हर फ्रेम में बांधे रखती है।


कास्ट और किरदार

फिल्म की सहायक भूमिकाओं में भी मजबूत परफॉर्मेंस देखने को मिलती है। बालाजी शक्तिवेल, रमेश थिलक, विजी चंद्रशेखर, ऋत्विका केपी, चेतन, सुब्रमण्यम शिवा, पासंगा शिवकुमार जैसे कलाकारों ने अपने किरदारों को दमदार तरीके से निभाया है। हर एक किरदार कहानी को एक नया मोड़ देता है।


बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन और ओटीटी रिलीज़

6 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर 8 करोड़ का कलेक्शन किया। हालांकि आंकड़े बड़े नहीं हैं, लेकिन फिल्म ने समीक्षकों से काफी तारीफें बटोरीं। दर्शकों ने भी फिल्म की सराहना की, खासतौर पर इसके अनोखे कॉन्सेप्ट और इमोशनल डेप्थ के लिए।

अब यह फिल्म JioHotstar पर ओटीटी के दर्शकों के लिए उपलब्ध है, वह भी हिंदी भाषा में डब की गई। यह उन लोगों के लिए बड़ी राहत है जो तमिल नहीं समझते लेकिन कंटेंट ड्रिवन सिनेमा को पसंद करते हैं।


फिल्म क्यों देखें?

  • अगर आप साइकोलॉजिकल थ्रिलर पसंद करते हैं।

  • अगर आपको इमोशनल, रियलिस्टिक ड्रामा भाता है।

  • और अगर आप कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जो अंत तक अनप्रीडिक्टेबल हो – तो ‘DNA’ आपके लिए परफेक्ट फिल्म है।

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