
जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 2016 में सत्ता में आए थे, तब एप्पल के सीईओ टिम कुक को व्हाइट हाउस का सबसे करीबी टेक लीडर माना जाता था। कुक ने बड़ी चतुराई से ट्रंप प्रशासन और चीन—दोनों से रिश्ते बनाए रखे। इसके बदले में एप्पल को न सिर्फ टैक्स छूटें मिलीं, बल्कि चीन में भी मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री में कोई रुकावट नहीं आई।
लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। 2025 के राजनीतिक परिदृश्य में ट्रंप की वापसी संभावित है, और इस बार उनके सबसे करीबी और प्रभावशाली टेक सहयोगी के रूप में एक नया नाम उभर कर सामने आ रहा है—एनवीडिया (Nvidia) के सीईओ जेन्सन हुआंग (Jensen Huang)।
🔺 AI क्रांति और Jensen Huang का उदय
एनवीडिया कभी गेमिंग ग्राफिक्स चिप बनाने वाली कंपनी के रूप में जानी जाती थी, लेकिन अब यह AI क्रांति का आधार स्तंभ बन चुकी है। चाहे चैटबॉट्स हों, मशीन लर्निंग मॉडल या डेटा सेंटर, हर जगह एनवीडिया की चिप्स की मांग है।
Wedbush के विश्लेषक डैन आइव्स के अनुसार:
“AI दुनिया का फ्यूचर है, और Nvidia उसकी रीढ़ बन चुकी है। Jensen Huang अब Tim Cook और Elon Musk दोनों से कहीं आगे निकल चुके हैं।”
एनवीडिया की सबसे नई H20 AI चिप चीन में फिर से बिकने लगी है, जिस पर कुछ महीनों पहले अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन Jensen Huang ने न सिर्फ इसका विरोध किया, बल्कि प्रशासन से बातचीत करके प्रतिबंध हटवाने में भी सफल रहे।
🏛️ ट्रंप प्रशासन में बढ़ती पकड़
इस घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि Huang की ट्रंप प्रशासन तक सीधी पहुंच बन चुकी है। वे हाल ही में वॉशिंगटन डीसी में ट्रंप से मुलाकात कर चुके हैं। इसके बाद ही चीन के लिए H20 चिप की बिक्री की अनुमति मिली, जिससे यह संदेश गया कि Nvidia न केवल एक टेक कंपनी है, बल्कि एक राजनीतिक प्रभावशाली संस्था भी बन चुकी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, Huang ने ट्रंप प्रशासन को यह समझाया कि चीन पर टेक प्रतिबंध से अमेरिका का ही नुकसान हो सकता है, क्योंकि इससे चीनी कंपनियों को वैकल्पिक रास्ते अपनाने की छूट मिलती है।
🌍 वैश्विक प्रभाव: यूएई से सौदा, Huawei को टक्कर
Nvidia ने हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) को लाखों AI चिप्स बेचने का समझौता किया है। इस डील में भी Huang की भूमिका निर्णायक रही। यह समझौता न सिर्फ अमेरिका की तकनीकी लीडरशिप को मजबूत करता है, बल्कि Huawei जैसी चीनी कंपनियों को भी पीछे छोड़ता है।
इस तरह, Huang अब केवल एक टेक लीडर नहीं, बल्कि अमेरिकी विदेश नीति और तकनीकी रणनीति के प्रमुख खिलाड़ी बन चुके हैं।
📉 Tim Cook और Elon Musk: पीछे छूटे दिग्गज
एक समय था जब Tim Cook को अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक संतुलन का मास्टरमाइंड माना जाता था। लेकिन आज की तारीख में Cook की स्थिति वैसी नहीं रही।
एप्पल अब भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित कर रही है, जिससे ट्रंप प्रशासन में असंतोष है।
ट्रंप के सलाहकार पीटर नवैरो ने भी कुक की आलोचना करते हुए कहा कि “कुक चीन से निर्माण हटाने में बहुत धीमे हैं।”
वहीं दूसरी तरफ Elon Musk, जो पहले ट्रंप के करीबी माने जाते थे, अब उतने सक्रिय नजर नहीं आ रहे। ट्विटर (अब X) पर ट्रंप को लेकर Musk की टिप्पणी और दूरी ने भी दोनों के संबंधों को ठंडा कर दिया है।
⚠️ भविष्य की चुनौतियां: क्या यह प्रभाव स्थायी रहेगा?
हालांकि Huang का वर्तमान प्रभाव जबरदस्त है, लेकिन कई विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ट्रंप प्रशासन की नीतियां अक्सर अनिश्चित और अप्रत्याशित रही हैं।
DGA-अलब्राइट स्टोनब्रिज ग्रुप के पॉल ट्रिओलो के अनुसार:
“ट्रंप प्रशासन की नीतियों में बार-बार बदलाव से कंपनियों को बार-बार खुद को री-डिज़ाइन करना पड़ता है। यह Nvidia के लिए भी चुनौती हो सकती है।”
इसके अलावा, अमेरिका वर्तमान में सेमीकंडक्टर सेक्टर की जांच कर रहा है। Nvidia का बड़ा निर्माण अभी भी ताइवान में होता है, जो ट्रंप प्रशासन को खटक सकता है। यदि ट्रंप फिर से “अमेरिका फर्स्ट” नीति अपनाते हैं, तो Nvidia पर स्थानीय उत्पादन का दबाव बढ़ सकता है।