IAS वी.एस. आलागु वर्षिणी: छात्रों से टॉयलेट साफ करवाने पर मचा बवाल, जानिए कौन हैं यह अधिकारी?

तेलंगाना की वरिष्ठ IAS अधिकारी डॉ. वी.एस. आलागु वर्षिणी एक बार फिर सुर्खियों में हैं। राज्य की सोशल वेलफेयर रेजिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस सोसायटी (TGSWREIS) की सचिव होने के नाते उन्होंने छात्रों को हॉस्टल और टॉयलेट की सफाई के निर्देश दिए थे। इसके चलते राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NSCC) ने तेलंगाना के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है।

क्या है पूरा मामला?

आरोप है कि डॉ. वर्षिणी ने राज्य के गुरुकुल स्कूलों के प्रिंसिपलों को निर्देश दिए थे कि वे छात्रों के रूटीन में टॉयलेट और हॉस्टल कमरों की सफाई शामिल करें। इस कदम को लेकर कई संगठनों ने आपत्ति जताई, खासकर तब जब इसका संबंध कमजोर वर्गों से आने वाले छात्रों से जुड़ा हो।


IAS वी.एस. आलागु वर्षिणी का परिचय और शिक्षा

वी.एस. आलागु वर्षिणी का जन्म तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के पोलाची शहर में हुआ। उनके पिता वी.एस. सोमा सुंदरम और मां एम. सेलवनायगम दोनों ही शिक्षक थेएक फिजिक्स तो दूसरी केमिस्ट्री की। उनके पिता का सपना था कि हर तबके के बच्चों को गुणवत्ता वाली शिक्षा मिले, जो बाद में "शिवालिक मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल" के रूप में साकार हुआ।

वर्षिणी ने इसी स्कूल में पढ़ाई की और यहीं से उन्होंने जीवन के लिए अनुशासन और समर्पण की सीख ली। वो बचपन में खेलों में भी सक्रिय थीं और पढ़ाई के साथ-साथ वॉलीबॉल और खो-खो जैसे खेलों में भी हिस्सा लेती थीं।


MBBS का सपना और UPSC की शुरुआत

उनका सपना था डॉक्टर बनने का, लेकिन रैंक आने के कारण MBBS की सीट नहीं मिल पाई। उनके पिता ने मैनेजमेंट कोटे की फीस देने से इनकार कर दिया, इसलिए उन्होंने चेन्नई के मीनाक्षी अम्माल डेंटल कॉलेज में BDS (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) में दाखिला लिया। वहाँ उन्होंने प्रोस्थोडॉन्टिक्स और एंडोडॉन्टिक्स में स्टेट लेवल पर पुरस्कार भी हासिल किए।

वो ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी में विशेषज्ञ बनना चाहती थीं और कटे होंठ और तालू जैसी बीमारियों का मुफ्त इलाज करना चाहती थीं, लेकिन सरकारी सीटों की कमी और मैनेजमेंट कोटे से इनकार के चलते उन्होंने UPSC की ओर रुख किया।


UPSC परीक्षा और सफलता की कहानी

पहले प्रयास में असफलता के बाद उन्होंने और अधिक मेहनत की और अगले प्रयास में सफलता प्राप्त की। उन्हें भारतीय डाक सेवा (Indian Postal Service) में नियुक्ति मिली, जहाँ उन्होंने पोस्टल लाइफ इंश्योरेंस और पोस्टल बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में काम किया। बिहार में बैंकिंग और बीमा सेवाओं में काम करने से उन्हें वित्तीय मामलों की गहरी समझ मिली।


सामाजिक दबाव और व्यक्तिगत संघर्ष

जब वह अपनी तैयारी में लगी थीं, तब उनके आसपास की कई महिलाएं शादी करके परिवार बसा चुकी थीं। 25 साल की उम्र में समाज ने उनके परिवार पर विवाह को लेकर सवाल उठाने शुरू कर दिए। लेकिन UPSC में सफलता ने सबकी चुप्पी साध दी।


2017 का संघर्षपूर्ण साल

वर्ष 2017 उनके लिए सबसे कठिन रहाभाई की नवजात बेटी की मृत्यु, गर्भावस्था में जटिलताएं, पिता का निधन, नौकरी में अनिश्चितता और समय से पहले डिलीवरी जैसी कई मुश्किलों ने उन्हें झकझोर कर रख दिया। इस दौर में कई सहकर्मी साथ नहीं आए, लेकिन कुछ अफसरों ने उनका मनोबल बनाए रखा।


नौकरी छोड़ने का विचार और नया अवसर

वर्षिणी उस समय इतनी टूट गई थीं कि उन्होंने IAS की नौकरी छोड़ने और अपने गृहनगर में क्लिनिक खोलने का मन बना लिया था। लेकिन उसी समय उन्हें स्वास्थ्य विभाग में एक नई जिम्मेदारी मिलीइंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर के निदेशक पद की। यहीं से उनका करियर एक नई दिशा में आगे बढ़ा।

 

  • Related Posts

    BECIL में निकली बंपर भर्तियां – इंजीनियर से लेकर ड्राइवर तक के लिए सुनहरा मौका!

    अगर आप सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे हैं, तो ब्रॉडकास्ट इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (BECIL) आपके लिए…

    Read More
    यश दयाल की कहानी: केंद्रीय विद्यालय से आईपीएल तक का सफर

    यश दयाल, एक युवा तेज गेंदबाज, जिन्होंने प्रयागराज की गलियों से निकलकर आईपीएल के मैदान तक का सफर…

    Read More

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *