 
									भारत और इंग्लैंड के बीच चल रही टेस्ट सीरीज अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है। 5 मैचों की इस सीरीज में तीन मुकाबले खेले जा चुके हैं और इंग्लैंड की टीम 2-1 से आगे चल रही है। चौथा मुकाबला 23 जुलाई से मैनचेस्टर के ऐतिहासिक ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान में खेला जाएगा। यह मुकाबला भारत के लिए ‘करो या मरो’ जैसा है, क्योंकि अगर यहां हार या ड्रॉ हुआ, तो सीरीज गंवाना तय है।
लेकिन असली सवाल यह है — इस मुकाबले में किसका पलड़ा भारी है? क्या भारत वापसी कर पाएगा, या फिर इंग्लैंड यहां भी अपने अतीत के प्रदर्शन को दोहराएगा? इसका जवाब आंकड़ों में छिपा है।
भारत बनाम इंग्लैंड: टेस्ट क्रिकेट में आमने-सामने
भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट क्रिकेट का इतिहास काफी पुराना और रोमांचक रहा है।
अब तक इन दोनों टीमों के बीच कुल 139 टेस्ट मैच खेले जा चुके हैं:
- इंग्लैंड ने जीते: 53 मैच 
- भारत ने जीते: 36 मैच 
- ड्रॉ हुए मैच: 50 
इन आंकड़ों से साफ है कि इंग्लैंड को भारत पर थोड़ी बढ़त जरूर है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भारतीय टीम ने विदेशी पिचों पर भी दमदार प्रदर्शन करके यह अंतर कम किया है। हालांकि, बात जब ओल्ड ट्रैफर्ड की आती है, तो कहानी पूरी तरह से इंग्लैंड के पक्ष में जाती है।
ओल्ड ट्रैफर्ड का इतिहास: भारत के लिए अभिशाप!
मैनचेस्टर स्थित ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान टेस्ट क्रिकेट का एक ऐतिहासिक स्थल है।
भारत और इंग्लैंड के बीच इस मैदान पर अब तक 9 टेस्ट मुकाबले खेले गए हैं:
- इंग्लैंड जीता: 4 बार 
- ड्रॉ हुए: 5 मुकाबले 
- भारत की जीत: 0 बार 
जी हां, आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत ने अब तक ओल्ड ट्रैफर्ड में एक भी टेस्ट मैच नहीं जीता है। यह आंकड़ा भारतीय क्रिकेट के लिहाज से चिंता का विषय है, खासकर तब जब टीम को सीरीज में बने रहने के लिए हर हाल में जीत चाहिए।
मैंचेस्टर में भारत की सबसे करीबी हार कब हुई?
भारत इस मैदान पर सबसे ज्यादा जीत के करीब साल 1974 में पहुंचा था। उस मुकाबले में भारत ने काफी संघर्ष किया लेकिन अंत में उसे इंग्लैंड से 113 रनों से हार झेलनी पड़ी। इसके बाद भी कई बार भारत ने यहां खेलने की कोशिश की, लेकिन कभी जीत नसीब नहीं हो सकी।
भारत और इंग्लैंड आखिरी बार इस मैदान पर साल 2014 में भिड़े थे। उस टेस्ट में इंग्लैंड ने पहली पारी में 367 रन बनाए थे, और भारतीय टीम दोनों पारियों में मिलाकर भी यह स्कोर पार नहीं कर सकी। भारत वह मैच पारी और 54 रन से हार गया था।
भारतीय बल्लेबाज़ों का ओल्ड ट्रैफर्ड में संघर्ष
यह मैदान भारतीय बल्लेबाजों के लिए अब तक काफी अनलकी साबित हुआ है।
यहां भारत की ओर से टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज़ रहे:
- सुनील गावस्कर – 5 पारियों में 242 रन 
इसके अलावा 21वीं सदी में डेब्यू करने वाले कोई भी भारतीय बल्लेबाज 200 रन तक नहीं बना सका है। इसका मतलब है कि मौजूदा पीढ़ी के ज्यादातर खिलाड़ी या तो इस मैदान पर खेले ही नहीं हैं या फिर यहां का अनुभव बहुत ही बुरा रहा है।
इंग्लैंड के पास घरेलू समर्थन और आंकड़ों की ताकत
इंग्लैंड की टीम इस समय आत्मविश्वास से भरी हुई है। 2-1 की बढ़त के साथ वह इस मुकाबले को भी जीतकर सीरीज अपने नाम करना चाहेगी। ओल्ड ट्रैफर्ड पर इंग्लैंड का प्रदर्शन हमेशा ही अच्छा रहा है, और इस बार भी बेन स्टोक्स, जो रूट, जॉनी बेयरस्टो, और जेम्स एंडरसन जैसे खिलाड़ी अपने घरेलू मैदान पर लय में दिख सकते हैं।
इस मैदान की पिच आमतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद देती है, और इंग्लैंड की तेज गेंदबाजी भारत के लिए हमेशा चुनौती रही है। खासतौर से जब बादल हों और हवा में नमी हो, तो यहां गेंद स्विंग होकर बल्लेबाजों को परेशान कर सकती है।
भारत की उम्मीदें किन खिलाड़ियों पर टिकी होंगी?
अगर भारत को यह मुकाबला जीतना है, तो उसे अपने सीनियर बल्लेबाजों और गेंदबाजों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करनी होगी।
- रोहित शर्मा और यशस्वी जायसवाल से अच्छी शुरुआत की अपेक्षा होगी 
- विराट कोहली की फॉर्म वापसी बेहद जरूरी होगी 
- बुमराह, सिराज, और अश्विन/जडेजा जैसे गेंदबाजों को इंग्लिश पिचों पर सटीक लाइन लेंथ रखनी होगी 
इसके अलावा फील्डिंग और DRS का इस्तेमाल भी निर्णायक साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: क्या भारत तोड़ पाएगा ओल्ड ट्रैफर्ड का जinx?
इसमें कोई शक नहीं कि भारत के सामने चुनौती बड़ी है। इतिहास, आंकड़े और परिस्थितियां इंग्लैंड के पक्ष में हैं। लेकिन भारतीय टीम पिछले कुछ वर्षों में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, और साउथ अफ्रीका जैसी जगहों पर असंभव को संभव बना चुकी है।
चौथा टेस्ट भारत के लिए सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि सम्मान और सीरीज बचाने की लड़ाई है। अगर भारत यह मुकाबला जीतता है, तो वह न केवल इतिहास रचेगा, बल्कि इंग्लैंड के घरेलू किले में सेंध लगाकर सीरीज को निर्णायक पांचवें टेस्ट तक खींच लाएगा।
अब देखना यह है कि 23 जुलाई को मैदान में किस टीम का बल्ला और गेंद बोलेगा — और क्या भारत अपने पुराने जख्मों पर मरहम लगा पाएगा या इंग्लैंड अपने प्रभुत्व को और मजबूत करेगा?






















