
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरना हर करदाता की ज़िम्मेदारी है। इस साल सरकार ने इसे लेकर राहत दी है। जिन व्यक्तियों के खातों का ऑडिट जरूरी नहीं है – जैसे वेतनभोगी या पेंशनर्स – उनके लिए ITR भरने की आखिरी तारीख अब 15 सितंबर 2025 कर दी गई है। यदि आप भी इस कैटेगरी में आते हैं, तो रिटर्न फाइल करने से पहले ये ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स संभालकर रखें ताकि आखिरी समय में कोई दिक्कत न हो।
📌 1. फॉर्म 16
यह डॉक्यूमेंट आपके एम्प्लॉयर से मिलता है और आपकी सालाना सैलरी, कटे गए टैक्स (TDS), और टैक्स डिडक्शन की पूरी जानकारी देता है। इससे यह जांचने में मदद मिलती है कि पोर्टल पर भरी गई जानकारी सही है या नहीं।
📌 2. फॉर्म 16A, 16B, 16C और 16D
फॉर्म 16A: बैंक एफडी या इंश्योरेंस पर मिलने वाले ब्याज पर TDS का ब्यौरा होता है।
फॉर्म 16B: जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं और विक्रेता का TDS काटा जाता है, तो यह फॉर्म मिलता है।
फॉर्म 16C: अगर आप ₹50,000 से अधिक किराया देते हैं, तो किराएदार मकान मालिक को यह फॉर्म देता है।
फॉर्म 16D: अन्य गैर-वेतनभोगी भुगतान पर TDS से संबंधित होता है।
ये सभी फॉर्म आपकी अलग-अलग इनकम सोर्स की जानकारी स्पष्ट करते हैं, जिससे रिटर्न फाइलिंग में गलती की संभावना नहीं रहती।
📌 3. AIS, TIS और फॉर्म 26AS
AIS (Annual Information Statement): बैंक ब्याज, FD, शेयर मार्केट, और अन्य वित्तीय लेनदेन का विस्तृत विवरण।
TIS (Taxpayer Information Summary): AIS में दी गई जानकारी का संक्षिप्त रूप।
फॉर्म 26AS: इसमें पूरे साल में TDS, TCS और अन्य टैक्स विवरण दर्ज होता है।
ये तीनों डॉक्यूमेंट ITR में दर्ज की जाने वाली इनकम को क्रॉस-चेक करने में मदद करते हैं।
📌 4. कैपिटल गेन स्टेटमेंट
यदि आपने म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, या रियल एस्टेट संपत्ति बेची है, तो आपको उससे हुए लाभ (Capital Gain) की जानकारी देनी होगी। यह स्टेटमेंट आपके ब्रोकर या म्यूचुअल फंड हाउस से मिल सकता है।
📌 5. बैंक स्टेटमेंट और ब्याज सर्टिफिकेट
साल भर में आपके सेविंग अकाउंट, FD या पोस्ट ऑफिस स्कीम से जो भी ब्याज मिला है, उसका ब्यौरा जरूरी होता है। यह ब्याज भी आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है, इसलिए इसे अनदेखा न करें।
📌 6. विदेशी इनकम और अनलिस्टेड शेयरों की जानकारी
अगर आपके पास किसी विदेशी बैंक में खाता है, या किसी विदेशी कंपनी के शेयर हैं – तो भले ही आपकी कुल आय टैक्स छूट सीमा से कम हो, फिर भी आपको इसका खुलासा करना ज़रूरी है।
इसी तरह, अगर आपने किसी भारतीय कंपनी के अनलिस्टेड शेयर में निवेश किया है, तो कंपनी का नाम और शेयरों की संख्या भी बतानी होगी।