सिंधु जल संधि पर मध्यस्थता अदालत के फैसले से उत्साहित हुआ पाकिस्तान, भारत ने दिया सख्त जवाब

हाल ही में सिंधु जल संधि को लेकर एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का फैसला सामने आया है, जिस पर पाकिस्तान ने खुशी जाहिर की है। वहीं भारत ने इस फैसले को पूरी तरह खारिज करते हुए इसे संधि के नियमों का उल्लंघन बताया है।

🌍 पाकिस्तान ने जताई बातचीत की इच्छा

पाकिस्तान ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि वह भारत के साथ सिंधु जल संधि से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना चाहता है। इस्लामाबाद का मानना है कि अब दोनों देशों को आपसी संवाद के जरिए आगे बढ़ना चाहिए। पाकिस्तान की यह प्रतिक्रिया हेग स्थित कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन द्वारा जम्मू-कश्मीर की किशनगंगा और रातले जल विद्युत परियोजनाओं को लेकर दिए गए निर्णय के बाद आई है।


🇮🇳 भारत ने फैसले को बताया ‘अवैध’

भारत ने स्पष्ट किया कि वह इस मध्यस्थता प्रक्रिया को कभी मान्यता नहीं देता। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान द्वारा उठाए गए मुद्दों को जिस मंच पर सुना गया, वह मंच ही संधि के नियमों के विरुद्ध बना था

बयान में यह भी कहा गया कि भारत ने इस तथाकथित ‘पूरक निर्णय’ को न केवल खारिज किया है, बल्कि इसे संधि का खुला उल्लंघन भी बताया है।

“यह तथाकथित निर्णय भारत के अधिकारों का हनन है और इसका कोई वैधानिक आधार नहीं है,” – भारतीय विदेश मंत्रालय


🔍 भारत ने क्यों स्थगित की संधि?

भारत ने अप्रैल 2025 में सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया था। यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद लिया गया। भारत का कहना है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, तब तक भारत उस संधि के तहत मिलने वाले किसी भी दायित्व को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है।

भारत के अनुसार, संधि की मूल भावना शांति और सहयोग पर आधारित है, जिसे पाकिस्तान लगातार कमजोर कर रहा है।


⚠️ क्या है सिंधु जल संधि?

  • संधि वर्ष: 1960

  • हस्ताक्षरकर्ता: भारत और पाकिस्तान

  • मध्यस्थ: विश्व बैंक

  • मुख्य बिंदु: भारत को पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलुज) और पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (झेलम, चिनाब, सिंधु) का जल उपयोग करने का अधिकार है।


🤝 भविष्य की राह

भारत का रुख फिलहाल स्पष्ट है — वह इस फैसले को न तो मान्यता देता है और न ही उसे कानूनी रूप से स्वीकार करता है। वहीं पाकिस्तान की बातचीत की इच्छा को लेकर भारत ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

साफ है कि जब तक सीमा पार आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ दुरुपयोग जारी रहेगा, तब तक भारत किसी भी प्रकार की प्रक्रिया को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

  • Related Posts

    कतर में फंसे भारतीय पूर्व नौसेना अधिकारी, 17 महीने बाद भी नहीं मिली घर वापसी की मंजूरी

    कतर में लंबे समय से एक अलग मामले में कानूनी प्रक्रिया का सामना कर रहे भारतीय नौसेना के…

    Read More
    यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की आखिरी उम्मीद: क्या बच पाएगी ज़िंदगी?

    केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की ज़िंदगी इस वक्त सबसे नाजुक मोड़ पर है। यमन…

    Read More

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *